Sad Shayari

बस यू ही तुम मेरे मुस्कराने की वजह बनी रहना,
जिंदगी में न सही मेरी जिंदगी बनी रहना।

कुछ तो खोया है उसने भी मेरी तरह,
मैंने चाहत गवाई तो उसने बेहद चाहने वाला

बस मुरादों में हमें शुमार रखिए,
हम हक़ नहीं जताएंगे ऐतबार रखिए…!!

कहाँ कहाँ से रूख्सत करोगे तुम मुझको,
छिपा हुआ हूँ मैं तुम्हारी ही दास्तानों मे !

मेरी गलतियों का हिसाब है उसके पास,
मगर मेरी मोहब्ब्त का कोई जवाब नही..!!!

इस प्यार का किस्सा क्या लिखना
एक बैठक थी बर्खास्त हुईं…

रस्ते में साथ मिल गया,उसे हमसफ़र मत मान,
चंद वक़त की छाँव को अपना घर मत मान..!!

गुस्से में पहले ब्लॉक किया भी गया मुझे,
फिर फेक आई डी से पढ़ा भी गया मुझे ….!!

जितनी जरूरत उतना रिश्ता है यहां,
बिन मतलब कौन फरिश्ता है यहां.!!

तबियत भी ठीक थी, दिल भी बेकरार न था,
ये तब की बात है, ज़ब किसी से प्यार न था…!!

हो तेरे साथ उम्र बसर , काश ऐसा हो,
मुमकिन नहीं ऐसा , मगर काश ऐसा हो।

हम तो फिर भी शायर हुए इश्क़ हार के,
हमने तो सुना है लोग पागल भी हो जाते है…!!

किरदार देख कर ज़माना हुआ मुरीद,
हमने किसी के दिल पर कभी कब्ज़ा नही किया।

मोहब्बत में यही ख़ौफ़ मुसलसल क्यों रहता है,
कहीं मेरे सिवा कोई औऱ तो अज़ीज़ नही उसे!!

तुझ से मिलने को बे-करार हैं दिल,
तुझ से मिलने के बाद भी बे-करार ही रहेगा।

जो अपना हो न सके उसी को चाह करके…
लुत्फ़ आता है बहुत ऐसा गुनाह करके..

कई आँखों में रहती है कई बांहें बदलती है,
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है।

नजर भी क्या चीज है जनाब,
ढूंढती उन्ही को हैं जो नजरअंदाज करते हैं..!!

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो,
चाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है।

अग़र कभी कहूँ जाओ जरूरत नही है तुम्हारी,
तो ठहर जाया करो सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है तब तुम्हारी…

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